Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -23-Jan-2024

शीर्षक - खाली दिमाग शैतान का घर


सच तो कहावत है एक पुरानी खाली दिमाग शैतान का घर होता है। आजकल हम सभी कहावतें और बड़ों की बातें भूलते जा रहे हैं। सच तो कहावतें होती है क्योंकि बड़े बुजुर्गों की बनाई हुई बातें आज भी जीवन में लागू होती है इसलिए बड़े लोग कहते थे की खाली दिमाग शैतान का घर होता है आओ हम इस कहानी को पढ़ते हैं और हम इस कहानी से कुछ प्रेरणा भी लेते हैं और बड़े बुजुर्गों की कहावतों का ध्यान रखते हैं। राघव रंजन रमेश और राकेश और राजू यह पांच दोस्त जो की एक ही कॉलेज में पढते और एक ही मोहल्ले में रहते थे। पांचों दोस्तों में बहुत पक्की दोस्ती थी। एक दूसरे के लिए हमेशा तैयार रहते थे और एक दूसरे घर आने वाला काफी था सब एक दूसरे को जानते थे समय बिताता गया। अब पांचों दोस्त बड़े हुए थे और पांचो को अलग-अलग कॉलेज में दाखिला लेना पड़ा क्योंकि कोई आर्ट से था कोई साइंस से था कोई हिंदी से था कोई कॉमर्स से था सब के सब विषय अलग-अलग हो गए सब के समय अलग-अलग हो गए। पांच दोस्तों में राघव और राजू काफी धनी परिवार के थे और और पढ़ाई में भी दोनों का खास मन नहीं लगता था और राघव राजू को रंजन रमेश और राकेश काफी समझते थे कि देख भाई जीवन शार्टकट रास्ते से नहीं चलता है परंतु राघव राजू की समझ में नहीं आता था फिर भी पांचो की दोस्ती पक्की थी समय बिता जाता है रंजन बैंक पर तिलक बन जाता है रमेश रेलवे का ड्राइवर बन जाता है और राकेश अपनी दुकान खोल लेता है और राघव राजू समय के साथ-साथ परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है और पढ़ाई में खास मन न होने के कारण उनकी पढ़ाई भी सही नहीं हो पाती है और वह अपने गांव में ही रह जाते हैं और धीरे-धीरे समय बीत जाता है राघव राजू भी अलग हो जाते हैं राजू गांव छोड़कर शहर चला जाता है। राघव गांव में अकेला रह जाता है और आप उसके पास उसका समझने वाला कोई नहीं था और अब उसका खाली दिमाग शैतान का घर होता है वही कहावत सच होती है मैं अब कुछ नशे की आदत में भी पड़ चुका था। आए दिन किसी न किसी मोहल्ले वाले से या आस पड़ोस से लड़ाई झगड़ा करना उसकी आदत सी बन चुकी थी क्योंकि अब उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी थी और अब घर में और बाहर उसका कोई कहने सुनने वाला नहीं था और मैं लड़ाई झगड़े के किस्सों में पुलिस थाने भी कर चुका था क्योंकि राघव का खाली दिमाग शैतान का घर था। जब सब दोस्त होली के त्योहार पर अपने घर गांव आते हैं। तब रंजन रमेश और राकेश अपने घर से होली के त्योहार पर नए-नए कपड़े पहनकर राघव और राजू के घर जाते हैं राजू तो गांव छोड़कर शहर चला गया है। और राघव रात को लडाई झगड़े के चक्कर में रात को थाने में बंद है अब राकेश रमेश रंजन को अपने दोस्तों को चिंता होती है और वह अपने दोस्तों को ढूंढने निकल पड़ते है और वह थाने में जाकर राघव की जमानत देकर छोड़ आते हैं और कहते हैं राघव खाली दिमाग शैतान का घर होता है यह बात सच हो गई यह सुनकर राघव दोस्तों के गले लगा कर लगता है और अपनी आप बीती सब दोस्तों को सुनता है। राकेश रमेश और रंजन राघव को सांत्वना देते हैं और कहते हैं अब तुम चिंता मत कर हम तेरे बारे में भी सोचेंगे। और वह राजू भी घर जाते हैं तो राजू के चाचा मिलते हैं और राजू का पता देते हैं तब वह गांव से चारों मिलकर राजू के शहर जहा राजू काम करता वहां पहुंचते हैं। तब राजू एक ढाबे पर बर्तन धोता हुआ मिलता है। और चारों दोस्तों को देखकर वह आंखें चुराने लगता है। चारों दोस्त राजू को उठाते हैं। और अब पांच दोस्त मिलकर एक दूसरे को हाल-चाल पूछते हैं फिर पांचों दोस्त मिलकर गांव पहुंचते है। और रंजन रमेश और राकेश राघव राजू को कहते है देखा मित्र खाली दिमाग शैतान का घर होता है अगर तुम भी समय से पढ़ लिख लेते तब आज हम सभी सही जीवन जीते। सच और सही प्रेरणा तो यही है दोस्तों खाली दिमाग शैतान का घर होता है और अगर हम समय इसके अनुसार जीवन को सही राह पर नहीं ले जाते हैं तो आगे चलकर राघव राजू की तरह ही संपत्ति और सुकून बिना कमाए और कुछ काम करें सब खत्म हो जाता है और जब आर्थिक संपन्नता खत्म हो जाती है तो हमें आदत उसी की होती है और फिर हम सबसे खिंचे खिंचे और चिड़चिड़ापन हो जाते है। सच तो जीवन हम कहानी या शब्दों में व्यक्त या लिखते हैं। तब हम सभी को सहयोग करते हैं।और जीवन के रंगमंच पर किरदार हम सभी निभाते हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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9 Comments

Mohammed urooj khan

24-Jan-2024 02:16 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Milind salve

24-Jan-2024 09:32 AM

Nice

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Rupesh Kumar

24-Jan-2024 01:22 AM

V nice

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